पाया खुद को खो कर , रह गया तेरा होकर ,
खोया जुल्फों में तेरे, कहीं खा ना लूँ ठोकर,थाम लो जो हाँथ मेरा, गुम हो जाए अँधेरा ,
संग है तू तो उजाला, किसलिए चाहूँ सवेरा ,
सुन के बातें मेरी जो, तेरे लब मुस्कुरा जाए ,
डरता हूँ कहीं देख तुझे , ये कदम ना डगमगाए ,
और हँसते हुए पलकों में कहीं, सावन जो आया ,
पूछेगा चाँद मैंने क्या किया, क्यूँ मुझको भिगोया |