Sunday, 31 July 2011

जाम ...

जिन्दगी  में  जो  पाया  वह  मुकाम  याद  आता  है ,
मैखाने  में  बैठु  तो  तेरा  नाम  याद  आता  है||

हलक  से  गुजरते  हर जाम  के  साथ ,
जलता  है  सीना  तो  मोहब्बत  का  अंजाम  याद  आता  है ||

जब  पलकें  भारी  और  चाल  ढीली  पड़  जाती  है ,
तब  चुपचाप  बैठ  सिर्फ  पीने  का  काम  याद  आता  है ||

होश  में  न  आना  चाहूँ दोस्तों  वरना ,
दिल  को  किसी  से  इंतकाम  याद  आता  है ||

इसलिए   नशे  में  मग्न  रहना  चाहता  हूँ ,
इसलिए  शाम  से  पहले  ही  जाम  याद  आता  है ||


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