Friday, 12 August 2011

साथी  तेरी  शादी  में , बोल  आऊंगा  मैं  कैसे ,
तुझको   विदा   होते , देख   पाउँगा   मैं  कैसे ,

बातें वो बचपन की ,याद आएंगी अब  मुझको ,
जिसकी  हंसी  भाए , कैसे  रोते   देखूं   उसको ,
खेल  गुडिया  की शादी का , खेल पाउँगा मैं कैसे,
तुझको विदा होते.....

चाहूँ  तो   मैं  भी  ये , तुझे   डोली  में   देखूं  मैं,
धान-चावल विदाई  की, तेरी झोली  में देखूं मैं,
पर   आंसू   भरे   नैना  , झेल   पाउँगा  मैं  कैसे,

तुझको विदा होते.....

जब  रोएगी  अम्मा  की, आंचल से लिपटकर  तू ,
 और  बाबुल  के  कुर्ते  को , पकड़ेगी  झपटकर  तू,
  यूँ  तड़पते  हुए   तुझको, समझाऊंगा   मैं  कैसे,

तुझको विदा होते..... 


2 comments:

  1. super.....lovely.........dnt hv words to xpress hw much i lykd dis one....:) :)

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    1. Tnx dear, I'll try to make it even better nxt tym :)

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