Sunday, 31 July 2011

एक पन्ना ......

हर  एक  गुजरा  दिन
जिन्दगी  की  किताब  में  जोड़ता
एक  पन्ना

जिस  पर  हर  रोज 
हम  खुद  अपनी  कलम  से 
लिखते  हैं
कुछ  नया 
जो  हर  अगले  पन्ने 
के  लिखावटों  का
आधार  बनता  है
कभी  आज  का
समर्थन  करता  है
तो  कभी  विरोध  में
उठ  खड़ा  होता  है
और  इस  पूरी 
उतार-चढ़ाव के  बाद
कभी-कभी  हमें 
मिलता  है
एक  ऐसा  पन्ना 
जहां  जब
कुछ  लिखने  को 
नहीं  बचता
तो  हम 
पिछले  सारे  पन्नो  को
नियति  का  खेल 
लिख  बैठते  हैं ....


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