Friday, 12 August 2011

पाया खुद  को खो  कर , रह  गया  तेरा होकर ,
खोया  जुल्फों में तेरे,  कहीं  खा  ना  लूँ  ठोकर,

थाम लो  जो हाँथ  मेरा,  गुम हो जाए  अँधेरा ,
संग  है  तू तो  उजाला, किसलिए  चाहूँ  सवेरा ,

सुन  के बातें  मेरी  जो, तेरे लब मुस्कुरा जाए ,
डरता हूँ कहीं देख तुझे , ये कदम ना डगमगाए ,

और  हँसते  हुए  पलकों में कहीं, सावन जो आया ,
पूछेगा चाँद  मैंने  क्या  किया,  क्यूँ  मुझको  भिगोया |

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