ये उस दोस्त का हाल -ए-बयां ....जो ....
कल रात , फिर किसीको बेकरार ,देखा मैंने
मैखाने में , लेकर बैठा ईब्दार , देखा मैंने ||
पी गया वो , अश्क सारे , प्याले में डाल के ,
हँसता रहा , फटते अपने , जिगर को रोक के ,
पहली दफा , उसके नजर इसरार , देखा मैंने ||
खींच रहा , जिससे लकीर ,राह -ए -गर्दिश वो ,
कल वही , उसके हांथ हथियार , देखा मैंने ||
सच कहा , जिसने कहा, इश्क निकम्मा बना दे ,
बना काफीर ,कल का दीन-दार , देखा मैंने ||
रोक लेते ,भला कैसे , उसको बोलो "हम " यारों ,
जिसके किसी , अपने को बनते कीनार , देखा मैंने .. ..!!
कल रात , फिर किसीको बेकरार ,देखा मैंने
मैखाने में , लेकर बैठा ईब्दार , देखा मैंने ||
पी गया वो , अश्क सारे , प्याले में डाल के ,
समझा लौटा , मौसम -ए-बयार , देखा मैंने ||
हँसता रहा , फटते अपने , जिगर को रोक के ,
पहली दफा , उसके नजर इसरार , देखा मैंने ||
खींच रहा , जिससे लकीर ,राह -ए -गर्दिश वो ,
कल वही , उसके हांथ हथियार , देखा मैंने ||
सच कहा , जिसने कहा, इश्क निकम्मा बना दे ,
बना काफीर ,कल का दीन-दार , देखा मैंने ||
रोक लेते ,भला कैसे , उसको बोलो "हम " यारों ,
जिसके किसी , अपने को बनते कीनार , देखा मैंने .. ..!!
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