Wednesday, 27 July 2011

देखा मैंने ..

ये  उस  दोस्त  का  हाल -ए-बयां ....जो  ....


कल  रात , फिर  किसीको  बेकरार ,देखा  मैंने 
मैखाने  में , लेकर  बैठा  ईब्दार , देखा  मैंने  ||

पी  गया  वो , अश्क  सारे , प्याले  में  डाल के ,
  समझा लौटा , मौसम -ए-बयार , देखा  मैंने ||

हँसता  रहा , फटते  अपने , जिगर  को  रोक  के ,
पहली  दफा , उसके  नजर  इसरार , देखा  मैंने ||

खींच  रहा , जिससे  लकीर ,राह -ए -गर्दिश वो ,
कल  वही , उसके  हांथ  हथियार , देखा  मैंने  ||

सच  कहा , जिसने  कहा, इश्क  निकम्मा बना दे ,
बना  काफीर ,कल  का   दीन-दार , देखा  मैंने  ||

रोक  लेते ,भला  कैसे , उसको  बोलो  "हम " यारों ,
जिसके  किसी , अपने  को बनते  कीनार , देखा  मैंने .. ..!!



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