Wednesday, 27 July 2011

तो याद हमारी आएगी ...


सुबह  की  उजली  कागज़  पर  तुम ,
अपने  कोमल  हांथों  से ,
लेकर  स्याही  उन  कुछ  पल  से ,
यादों से  और  नातो  से,

छेड़ -छाड़ की  बात  कोई ,
हँसता -सा  जज्बात  कोई ,
शर्मीली  मुलाकात   कोई ,
पलकों में गुजरी रात  कोई ,
जब  भी  लिखना  चाहोगी ,
तो  याद  हमारी  आएगी,

सागर  में ज्यों  होती  हलचल ,
बागों  में  पंछी   के  कोलाहल ,
सुलझाना    उलझा    आँचल ,
बाहों  में  बीते  कुछ  वो  पल ,
जब  भी  लिखना  चाहोगी ,
तो  याद  हमारी  आएगी ....

नफरत  फिर  ना  रह   पाएगा ,
चेहरे   पर   तब   सुख   आएगा,
फिर  अक्श दिखेगा  मेरा  तुझको ,
जो  खुद  को  तेरा  कह  जाएगा ,
फिर  हंसकर  लिखना चाहोगी ,
तो  याद  हमारी  आएगी ......



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