सुबह की उजली कागज़ पर तुम ,
अपने कोमल हांथों से ,
लेकर स्याही उन कुछ पल से ,
यादों से और नातो से,
हँसता -सा जज्बात कोई ,
शर्मीली मुलाकात कोई ,
पलकों में गुजरी रात कोई ,
जब भी लिखना चाहोगी ,
तो याद हमारी आएगी,
सागर में ज्यों होती हलचल ,
बागों में पंछी के कोलाहल ,
सुलझाना उलझा आँचल ,बाहों में बीते कुछ वो पल ,
जब भी लिखना चाहोगी ,
तो याद हमारी आएगी ....
नफरत फिर ना रह पाएगा ,
चेहरे पर तब सुख आएगा,
फिर अक्श दिखेगा मेरा तुझको ,
जो खुद को तेरा कह जाएगा ,
फिर हंसकर लिखना चाहोगी ,
तो याद हमारी आएगी ......
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