Sunday, 31 July 2011

कुछ बूँद......

कुछ  बूँद  आस्मां  से  जो  आँखों  में  टपकी ,
उन्हें  चूमने  को  मेरी  पल्कें झपकी ,

छलक  कर  वो  गालों  पे  बहने  लगे ,
भरा  है  ये  पहले  से  कहने  लगे ,

बरे  प्यार  से  उनको  हथेली   में  समेटा ,
ज्यों  बादल  ने  उनको  था  खुद  में  लपेटा ,

बताया  उसे  फिर  की  दिल  न  भरा  है ,
बरस  झूमकर  तेरा  दीवाना  खड़ा   है |


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